बनासकांठा, गुजरात@ (मनोहर पंचाल),,,,साल 2002 में गुजरात में हुए साम्प्रादायिक दंगों पर नानावती-मेहता आयोग की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में आज पेश कर दी गई। इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तत्कालीन मुख्यमंत्री) को क्लीन चिट दी गई। बता दें 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में 59 कारसेवकों को जलाए जाने के बाद राज्य में हिंसा भड़की थी। जिसके बाद से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई आरोप लगते रहे। लेकिन, बुधवार (दिसंबर 11, 2019) को गुजरात विधानसभा में दंगों की जाँच कर रहे नानावती आयोग की अंतिम रिपोर्ट रखी गई। जिसमें गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने सदन में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि आयोग की अंतिम रिपोर्ट में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगे आरोप खारिज किए गए हैं।
रिपोर्ट को तत्कालीन राज्य सरकार को सौंपे जाने के पाँच साल बाद सदन के पटल पर रखा गया। नानावती-मेहता कमिशन की रिपोर्ट में कहा गया कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाए जाने के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा सुनियोजित नहीं थी। इसलिए, आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है।
1500 से अधिक पन्नों की अपनी रिपोर्ट को सदन में पेश करते हुए आयोग ने कहा कि जाँच में उन्हें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे साबित कि राज्य के किसी मंत्री ने इन हमलों के लिए उकसाया या भड़काया। कुछ जगहों पर भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस अप्रभावी रही, क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी नहीं थे या वे हथियारों से अच्छी तरह लैस नहीं थे।
इसके अलावा आयोग ने अहमदाबाद शहर में सांप्रादायिक दंगों की कुछ घटनाओं का हवाला देकर कहा कि दंगों के दौरान पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने में सामर्थ्य, तत्परता नहीं दिखाई, जो आवश्यक था। इसलिए आयोग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ जाँच या कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।